स्वयं सहायता समूह (Self Help Group – SHG), जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत गठित होते हैं, ग्रामीण और शहरी महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक SHG में अध्यक्ष (Adhyaksh), कोषाध्यक्ष (Koshadhyaksh) और सचिव (Sachiv) जैसे महत्वपूर्ण पद होते हैं।

आइए, इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष क्या होता है, उनके मुख्य कार्य क्या हैं, उनकी नियुक्ति कैसे होती है, और क्या उन्हें कोई वेतन मिलता है।
स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष क्या है? (Swayam Sahayata Samuh Mein Adhyaksh Kya Hai?)
स्वयं सहायता समूह भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित किए जाते हैं, जिसमें 10 से 12 ग्रामीण या शहरी महिलाएं मिलकर एक समूह का निर्माण करती हैं। समूह का सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न भूमिकाएं निर्धारित की जाती हैं, और उनमें से सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अध्यक्ष (President) की होती है।
- मुख्य सदस्य: समूह में अध्यक्ष सबसे मुख्य सदस्य होता है, जो समूह के दैनिक कार्यों और निर्णयों में अग्रणी भूमिका निभाता है।
- बैठक करवाना: अध्यक्ष का एक प्रमुख कार्य समूह की नियमित साप्ताहिक या मासिक बैठकें (Meetings) आयोजित करवाना है।
- प्रस्ताव रखना: समूह की बैठक में होने वाले महत्वपूर्ण प्रस्तावों (Proposals) को सदस्यों के समक्ष रखना और उन पर चर्चा करवाना भी अध्यक्ष की जिम्मेदारी होती है।
- संचालन और प्रबंधन: अध्यक्ष पूरे समूह के संचालन (Operation) का कार्य देखता है और यह सुनिश्चित करता है कि समूह के नियम और दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है।
- सामग्री की जिम्मेदारी: समूह से संबंधित आवश्यक सामग्री, जैसे रजिस्टर (Register), दरी, और स्टांप पैड (Stamp Pad) आदि को व्यवस्थित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी अध्यक्ष की होती है।

स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष की नियुक्ति कैसे होती है? (SHG Adhyaksh ki Niyukti Kaise Hoti Hai?)
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष की नियुक्ति समूह के सदस्यों द्वारा आपसी सहमति और चुनाव के माध्यम से की जाती है।
- सदस्यों द्वारा चयन: समूह के सदस्य जिस पात्र (Eligible) और जागरूक (Aware) महिला को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं, उसी का चयन किया जाता है। यह चयन पारदर्शिता से होता है।
- समूह सखी की भूमिका: समूह के सदस्य चुने गए अध्यक्ष का नाम समूह सखी (Samuh Sakhi) को देते हैं। समूह सखी, समूह के रजिस्ट्रेशन के समय अध्यक्ष पद पर उस महिला को नियुक्त करती है।
- पंजीकरण में प्राथमिकता: समूह के निर्माण के समय, सबसे पहला पद अध्यक्ष के नाम से ही रजिस्टर किया जाता है।
अध्यक्ष बनने की योग्यताएं (Adhyaksh Banne ki Yogyatayen):
- पात्रता और सक्रियता: समूह में अध्यक्ष बनने के लिए ऐसी पात्र महिला का चयन किया जाता है जो सामाजिक कार्यों (Social Work) और आर्थिक गतिविधियों (Economic Activities) में सक्रिय भूमिका निभा सके।
- जागरूकता: समूह सखी का निर्णय सर्वोपरि होता है, और वे आमतौर पर पढ़ी-लिखी एवं जागरूक महिला को ही अध्यक्ष बनाने की सलाह देती हैं।
- शारीरिक योग्यता नहीं: अध्यक्ष बनने के लिए किसी विशेष शारीरिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है।
- वित्तीय समझ: उम्मीदवार को आर्थिक गतिविधियों, जैसे समूह में पारित होने वाले प्रस्ताव, रोजगार हेतु लिए जाने वाले ऋण (Loan) की उपयोगिता, और बचत किए गए धन का सर्वोत्तम उपयोग करने की जानकारी होनी चाहिए।
स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष का वेतन कितना होता है? (SHG Adhyaksh ka Vetan Kitna Hota Hai?)
कई स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को यह आशा रहती है कि समूह में उन्हें सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) मिलेगी, जिसमें अध्यक्ष पद भी शामिल है। लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि समूह में अध्यक्ष पद के लिए कोई निश्चित सरकारी वेतन (Fixed Government Salary) नहीं दिया जाता है।
- संविदा पर नौकरी नहीं: समूह अध्यक्ष का पद बीसी सखी, समूह सखी, कृषि सखी, पशु सखी जैसी संविदा (Contractual) आधारित सरकारी नौकरियों से भिन्न है, जिनमें उनके कार्य के अनुसार मानदेय दिया जाता है।
- धन लाभ का प्रबंधन: समूह अध्यक्ष को समूह में आने वाले धन लाभ (Financial Benefits) का प्रबंधन करना होता है। इसमें SRF (Start-up Revolving Fund) की ₹1,500 की धनराशि और CIF (Community Investment Fund) की ₹50,000 से लेकर ₹6,50,000 तक की धनराशि शामिल हो सकती है।
- सामूहिक उपयोग: यह पैसा केवल अध्यक्ष का नहीं होता है। अध्यक्ष इस धनराशि को समूह के सदस्यों में बराबर बांटता है या समूह सचिव (Samuh Sachiv) के परामर्श अनुसार किसी सामूहिक कार्य या सदस्य की व्यक्तिगत आवश्यकता के लिए उपयोग करता है।
- वापसी का प्रावधान: SRF को छोड़कर अन्य धनराशि (जैसे CIF) को एक बार लेने के पश्चात समूह को ब्याज सहित वापस करना होता है।
संक्षेप में, अध्यक्ष एक स्वैच्छिक और नेतृत्व वाला पद (Voluntary and Leadership Position) है जिसका उद्देश्य समूह के संचालन को सुदृढ़ करना और सदस्यों के सामूहिक लाभ को सुनिश्चित करना है, न कि व्यक्तिगत वेतन अर्जित करना। अध्यक्ष समूह के सामूहिक लाभ और विकास का हिस्सा होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)
इस प्रकार, आप समझ चुके होंगे कि स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष (SHG President) एक महत्वपूर्ण पद होता है, जो समूह के सफल संचालन, बैठकों के आयोजन, और सदस्यों के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करता है। समूह सखी के बाद, समूह अध्यक्ष का पद समूह में एक अत्यंत महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका निभाता है।
स्वयं सहायता समूह अध्यक्ष से जुड़े प्रश्न और उनके उत्तर (SHG Adhyaksh: Questions & Answers) ❓
प्रश्न 1. स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष कैसे बना जाता है? उत्तर: स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष बनने के लिए आपको समूह के भीतर सक्रिय होना होगा। समूह के सदस्य आपसी सहमति और चुनाव से एक जागरूक महिला का चयन करते हैं। यह नाम समूह सखी को दिया जाता है, जो रजिस्ट्रेशन के समय पद पर नियुक्ति करती हैं। आपको ब्लॉक स्तर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सीधे प्रस्ताव देने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि प्रक्रिया समूह के भीतर से ही शुरू होती है।
प्रश्न 2. समूह अध्यक्ष की नियुक्ति में समूह सखी का क्या रोल होता है? उत्तर: समूह सखी समूह गठन के समय और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में मार्गदर्शन करती हैं। वे सदस्यों द्वारा चुने गए अध्यक्ष के नाम को रजिस्टर में दर्ज करती हैं और आधिकारिक नियुक्ति प्रक्रिया में मदद करती हैं।