ग्रुप में जुड़े Join Now

स्वयं सहायता समूह (SHG) की बैठक कैसे की जाती है? (Samuh Ki Baithak Kaise Karen)

स्वयं सहायता समूह (Swayam Sahayata Samuh) के सफलतापूर्वक संचालन के लिए नियमित बैठकें (Regular Meetings) बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये बैठकें न केवल आर्थिक लेन-देन के लिए होती हैं, बल्कि सदस्यों के बीच समन्वय और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए भी आवश्यक हैं। यदि आप एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं और जानना चाहती हैं कि बैठकें कैसे आयोजित की जाती हैं, तो यह मार्गदर्शिका आपके लिए है।

samuh ke labh

samuh ki baithak

आइए जानते हैं कि स्वयं सहायता समूह की साप्ताहिक बैठक कैसे आयोजित की जाती है।


स्वयं सहायता समूह की साप्ताहिक बैठक कैसे शुरू करें?

स्वयं सहायता समूह के रजिस्ट्रेशन के बाद, समूह की महिलाओं को प्रत्येक सप्ताह में एक बैठक अवश्य करनी चाहिए। यह बैठक सप्ताह के किसी एक निश्चित दिन आयोजित की जा सकती है। समूह के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और सचिव को बैठक आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

बैठक की शुरुआत:

  1. बैठने की व्यवस्था: बैठक की शुरुआत में, सभी सदस्यों को गोलाकार में बैठना चाहिए। समूह के रजिस्टर (Register), कार्यपुस्तिका (Workbook) और अन्य ज़रूरी दस्तावेज़ गोले के बीच में रखे जाने चाहिए।
  2. समूह प्रार्थना (Samuh Prarthana): बैठक की शुरुआत समूह प्रार्थना से करें। प्रार्थना से बैठक में सकारात्मक माहौल बनता है और सभी सदस्य मानसिक रूप से जुड़ पाते हैं।

बैठक के दौरान मुख्य गतिविधियाँ और चर्चा

प्रार्थना के बाद, बैठक के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की जाती है।

  1. सदस्यों का परिचय (Sadasyon ka Parichay): समूह की साप्ताहिक बैठक के दौरान, सभी सदस्यों को अपना परिचय देना चाहिए। यदि संभव हो, तो सदस्य स्वयं अपना परिचय दें। यह अभ्यास सदस्यों की आत्मशक्ति (Self-Confidence) और बोलने की क्षमता (Public Speaking Skills) को बढ़ाता है।
  2. चर्चा के बिंदु और निर्णय: समूह के सदस्यों को बैठक में होने वाली चर्चा के मुख्य बिंदुओं को पहले से तय करना चाहिए।
    • बचत और उपयोग: समूह में धन की बचत (Savings) और उसके उपयोग (Utilization) पर चर्चा करें।
    • ऋण की आवश्यकता: यह निर्णय लें कि समूह के किस सदस्य को आर्थिक सहायता या उद्योग के लिए ऋण (Loan) की आवश्यकता है।

बैठक में रजिस्टर भरना और लेखा-जोखा

स्वयं सहायता समूह की बैठक में बुक्कीपर (Bookkeeper) का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

  • लेखा कार्य (Accounting Work): बुक्कीपर बैठक में हुई चर्चाओं, योजनाओं और लिए गए निर्णयों को रजिस्टर में दर्ज करेंगे।
  • बचत का लेखा-जोखा: बैठक के दौरान जमा किए गए बचत के धन की धनराशि का सटीक लेखा-जोखा (Record of Savings) करना अनिवार्य है।

यह सुनिश्चित करता है कि समूह के सभी वित्तीय और संगठनात्मक निर्णय लिखित रूप में मौजूद हों और पारदर्शिता बनी रहे।


बैठक का मूल्यांकन और समापन

बैठक समाप्त करने से पहले, समूह की कार्रवाई का मूल्यांकन और सत्यापन करना आवश्यक है।

  1. कार्यवाही पढ़ना: बैठक समाप्त करने से पहले, समूह के प्रमुख सदस्य (जैसे अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, और सचिव) या बुक्कीपर को बैठक की पूरी कार्यवाही (Proceedings) पढ़कर सुनानी होती है। यदि बुक्कीपर अनुपस्थित है, तो अध्यक्ष इस कार्य को कर सकते हैं।
  2. हस्ताक्षर (Signatures): बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों के हस्ताक्षर लेना अनिवार्य है। यह पुष्टि करता है कि वे बैठक में उपस्थित थे और लिए गए निर्णयों से सहमत हैं।

इस तरह, स्वयं सहायता समूह की एक प्रभावी और सफल बैठक पूरी होती है, जो समूह के विकास में सहायक होती है।

Leave a Comment