राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत गठित स्वयं सहायता समूह (Self Help Group – SHG) ग्रामीण और शहरी महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है. भारत सरकार ने इन समूहों के माध्यम से महिलाओं में बचत (Savings) की आदत विकसित करने और रोजगार (Rojgar) के अवसर प्रदान करने का लक्ष्य रखा है.

आइए जानते हैं कि एक स्वयं सहायता समूह (Swayam Sahayata Samuh) बनाने के क्या लाभ और फायदे हैं.
स्वयं सहायता समूह क्या है?
स्वयं सहायता समूह 10 से 12 महिलाओं का एक समूह होता है. इसका गठन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें वित्तीय सेवाओं से जोड़ने के लिए किया जाता है. समूह में अध्यक्ष (Adhyaksh), कोषाध्यक्ष (Koshadhyaksh) और सचिव (Sachiv) जैसे प्रमुख पद होते हैं, जबकि अन्य महिलाएं सदस्य के रूप में जुड़ती हैं. समूह का रजिस्ट्रेशन ब्लॉक स्तर पर या CSC जन सेवा केंद्र के माध्यम से ऑनलाइन किया जा सकता है.
समूह के गठन के बाद, सदस्यों को विभिन्न सरकारी योजनाओं, ऋण सुविधाओं और संविदा (Contract) वाली नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है.

स्वयं सहायता समूह से क्या लाभ हैं? (SHG Benefits)
समूह गठन के 3 से 6 महीने बाद ही समूह के सदस्यों को कई प्रकार के लाभ मिलने लगते हैं. यहां कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:
1. रोजगार हेतु कम ब्याज पर ऋण (Rojgar ke Liye Low Interest Loan)
स्वयं सहायता समूह का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सदस्यों को बहुत ही कम ब्याज दर (Low Interest Rate) पर ऋण (Loan) प्रदान करता है.
- कम ब्याज: यदि आप व्यक्तिगत रूप से बैंक से लोन लेते हैं, तो ब्याज दर 7% से 15% तक हो सकती है. लेकिन स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्राम संगठन (Gram Sangathan) से आप 2% से 7% तक की ब्याज दर पर ₹6,50,000 तक का लोन ले सकते हैं.
- सरकारी सहायता: बैंकों द्वारा 7% की ब्याज दर पर दिए जाने वाले लोन में से 2% या 3% ब्याज दर भारत सरकार की तरफ से वहन की जाती है.
- अवधि: ऋण चुकाने की अवधि आमतौर पर 5 वर्ष निर्धारित की गई है.

2. स्वयं सहायता समूह में नौकरी (Swayam Sahayata Samuh mein Naukri)
पढ़ी-लिखी और जागरूक स्वयं सहायता समूह सदस्यों को NRLM के तहत विभिन्न पदों पर नौकरी के अवसर भी दिए जाते हैं. इन नौकरियों में शामिल हैं:
- समूह सखी (Samuh Sakhi): समूहों के मार्गदर्शन और देखरेख का कार्य.
- बैंक सखी (Bank Sakhi): बैंक और समूह के बीच समन्वय स्थापित करना और बैंकिंग कार्यों में मदद करना.
- BC सखी (BC Sakhi): ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग लेनदेन को आसान बनाना (मिनी बैंक की तरह).
- पशु सखी (Pashu Sakhi) / कृषि सखी (Krishi Sakhi): कृषि और पशुपालन संबंधी कार्यों में मदद करना.
- बिजली सखी / बिजली दीदी: बिजली बिल संग्रहण और संबंधित कार्यों में सहायता करना.
3. रोजगार के अवसर (Rojgar ke Avsar)
NRLM द्वारा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए अनेक रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं. सदस्य लोन लेकर विभिन्न प्रकार के व्यवसाय शुरू कर सकती हैं.
कुछ प्रमुख व्यवसाय जो SHG लोन लेकर शुरू किए जा सकते हैं:
- अचार और पापड़ का व्यवसाय.
- मोमबत्ती बनाना.
- दोना-पत्तल बनाने का व्यवसाय.
- पानी पैकिंग या प्यूरीफायर व्यवसाय.
- अगरबत्ती बनाना.
- ई-रिक्शा (E-Rickshaw) चलाना.
- सोलर दीदी (Solar Didi) बनकर सोलर लैंप का व्यवसाय.
4. आर्थिक और सामाजिक लाभ (Arthik aur Samajik Labh)
स्वयं सहायता समूह बनाने के बाद सदस्यों को कई आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलते हैं:
- बचत की आदत: गरीब महिलाओं में बचत (Savings) की आदत विकसित होती है.
- आपातकालीन सहायता: आपातकालीन स्थिति में या किसी संकट के दौरान समूह से आसानी से ऋण (Loan) प्राप्त हो जाता है.
- प्रोत्साहन और सहायता: समूह से सदस्यों को आपसी प्रोत्साहन और सहायता मिलती है.
- आर्थिक सशक्तिकरण: महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और वे आर्थिक रूप से सशक्त बनती हैं. यह उन्हें किसी भी संकट से निपटने के लिए धन जुटाने में सक्षम बनाता है.
स्वयं सहायता समूह के अनेक लाभ हैं. NRLM द्वारा समय-समय पर Swayam Sahayata Samuh से जुड़ी महिलाओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है.
क्या आप स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद मिले किसी लाभ के बारे में जानना या बताना चाहती हैं?